हाँ, कई बार कुछ लोगों की मौत हमारी ख़ुशी का कारण बन जाती है, ऐसा अमूमन होना तो नहीं चाहिए लेकिन फिर भी कभी कभी धर्म की जीत में किसी की मृत्यु भी दिल को ख़ुशी देती है।
पुलवामा आतंकी हमला बड़ा ही भयावह दृश्य दे गया, सभी के दिल दुःख से पसीज गए, ऐसे में सभी को इंतज़ार था कि गुनाहगारो को जल्दी सजा मिले, हर कोई चाह रहा था आतंकी राष्ट्र से तो बाद ने लड़ेंगे पहले आतंकी को तो मारो।
भारतीय सेना ने हमले के 100 घण्टे के भीतर ही इस हमले के मास्टरमाइंड “गाज़ी” को मार गिराया।
ये खबर सुनते ही दिल प्रसन्न हो उठा, शहीद सैनिक वापस तो नहीं आ सकते लेकिन हां उनकी आत्मा को और इनके परिवार को थोड़ी तसल्ली ज़रूर मिलेगी। अभी शुरुआत हुई है जंग अभी बाकी है आतंकवाद के खिलाफ, अभी आप सब को कई बार इनकी मृत्यु पर खुश होने का मौका मिलेगा।
इसी बात पर कैलाश कुमार ने भी कुछ मत्वपूर्ण बात कही :
सही मायनों में देखें तो मौत, चाहे वह किसी की भी हो, कभी भी सुकून नहीं दे सकती है।
हाँ, यह जरूर है कि यदि कोई आतंकवादी इत्यादि जैसा अपराधी मारा जाता है तो थोड़ी राहत जरूर मिलती है। यह राहत इस बात की होती है कि अब उक्त आतंकवादी के कारण कोई निर्दोष व्यक्ति नहीं मारा जायेगा।
मौत , मौत ही होती है।
हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान के भूतपूर्व प्रधान मंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो जोकि बर्कली और ऑक्सफ़ोर्ड में शिक्षित थे तथा लिंकस इन में प्रशिक्षित बैरिस्टर थे, को जब फांसी देकर मारा गया था जो शायद दुनिया के हर शिक्षित व्यक्ति तो कहीं न कहीं कुछ अच्छा नहीं लगा होगा।