भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इतनी बड़ी ऐतिहासिक जीत के पीछे कई ऐसे बड़े कारण है जो आज लोगो को उनकी और खींचते है. नरेंद्र मोदी की इस जीत का श्रेय पुरे भारत की जनता को जाता है जिन्होंने एक बार फिर अपना हक़ पाने के लिए एक सही व्यक्ति को चुना।
जातिगत मामले और धार्मिक मसले : 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद भाजपा जान गई थी कि जातिगत और धार्मिक समीकरणों को तोड़ना मुश्किल है और अगर प्रचंड जीत चाहिए तो सभी जातियों को धर्मों को एक साथ अपने पाले में करना होगा और इसके लिए जातियों और धर्म की दीवार तोड़नी होगी। राष्ट्रवाद के नाम पर मोदी सरकार ने जाति-धर्म की सारी दीवारें तोड़ दी।
राष्ट्रवाद: भाजपा ने इस मुद्दे को जमकर भुनाया और राष्ट्रवाद को भाजपा ने ऐसे प्रयोग किया कि दूसरे दल इसका प्रयोग न करें। कांग्रेस ने AFSPA को कश्मीर से हटाने, सैनिकों की संख्या घटाना और देशद्रोह के कानून को खत्म करना जैसी चीज़ें को अपने घोषणा पत्र में शामिल करके अपने पैर पर खुद ही कुल्हाड़ी मारी।
हिंदुत्व सम्मान: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस के मुस्लिम तुष्टिकरण को जनता के सामने बखूबी उजागर किया और विपक्षी दलों द्वारा लगातार हिंदुओं की आस्था पर की जा रही चोट को एक बड़ा मुद्दा बनाया और हिंदुओं को एकत्रित किया। इस कारण हिंदुओं ने जातियों में ना बंट कर समूचे रूप से भाजपा को वोट किया जो कि भाजपा को 50% से ज्यादा वोट दिलाने में सहायक रहा। साध्वी प्रज्ञा को दिग्विजय सिंह और कांग्रेस के हिंदू आतंकवाद के जवाब में उतारकर भाजपा ने अपनी हिंदुत्व वाली छवि को मजबूत किया।
प्रधानमंत्री मोदी: श्री नरेंद्र मोदी की जनता में एक बहुत ही मजबूत छवि है। लोगों को भाजपा पर नहीं मोदी पर विश्वास है। लोगों को यह भरोसा है कि मोदी कभी देश को धोखा नहीं दे सकते। 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 बालाकोट एयर स्ट्राइक को मोदी ने हरी झंडी देकर साबित कर दिया। विश्व स्तर पर मोदी ने जिस तरह देश की छवि को मजबूत किया, भारतीय और प्रवासी भारतीयों के बीच अपनी छवि को मजबूत किया। खुद मोदी की शिव भक्त वाली छवि ने भी मदद की।
राष्ट्र सुरक्षा एवं सुरक्षा बलों का भरपूर सम्मान: नरेंद्र मोदी की सरकार ने हमेशा राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी। नरेंद्र मोदी की छवि सेना प्रेमी है। मोदी ने समय समय पर सेना के जवानों के साथ समय बीताकर यह साबित कर दिया। 2017 में डोकलाम में मजबूती से चीन को खदेड़कर, भारत की एक मजबूत छवि पेश की। मोदी सरकार ने तीव्र गति से सेना का आधुनिकरण किया। जवानों को आधुनिक हथियार और समान उपलब्ध कराए। कम से कम देश के रक्षा विशेषज्ञ मोदी से खुश थे।
जनता से संवाद : नरेंद्र मोदी अपनी बातों को जनता में पहुंचाने में सफल रहे। विपक्षी पार्टियों के दोगलेपन को भी मोदी ने जनता के सामने अपने रैलियों में बखूबी उजागर किया। मोदी जनता से सीधे संवाद में भरोसा रखते थे।
विपक्ष में तनाव : 3 राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद बंगाल की रैली में विपक्ष के सारे नेता एक मंच पर साथ आए लेकिन लोकसभा चुनाव आते-आते विपक्षी एकता टूट गई और और विपक्ष में प्रधानमंत्री पद के चेहरे की कमी और प्रधानमंत्री पद के कई नेताओं द्वारा दावेदारी नरेंद्र मोदी की प्रचंड जीत का कारण बनी। उत्तर प्रदेश में सपा बसपा के गठबंधन के बाद बीजेपी की स्थिति थोड़ी कमजोर हुई थी लेकिन कांग्रेस के प्रत्याशियों को उतारने के बाद कांग्रेस वोट कटवा की भूमिका में आई जिसके कारण बीजेपी को जीत हासिल करने में आसानी मिली।
कांग्रेस का अहंकार और मात : 3 राज्यों में जीत के बाद कांग्रेस फिर से वापस अपने पुराने अहंकार में आ गई और क्षेत्रीय दलों को कम आंकना शुरू कर दिया जिसके कारण खुद विपक्षी दलों में ही कांग्रेस के खिलाफ अविश्वास उत्पन्न हो गया। अमित शाह की रणनीति की आगे राहुल गांधी का कांग्रेस का नेतृत्व कमजोर पड़ गया।
निचले स्तर से भाजपा की पकड़: भाजपा ने बूथ स्तर से कार्य किया और लोगों से संवाद किया। मेरा बूथ सबसे मजबूत जैसे कार्यक्रम से लोगों को जोड़ा। इसमें कोई दो राय नहीं कि बीजेपी का बूथ काडर इस समय सबसे मजबूत है।
विपक्ष के भस्मासुर: इन लोकसभा चुनाव में विपक्ष के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कई सारे निजी हमले और टीका टिप्पणी की जिसके कारण नरेंद्र मोदी ने लोगों की सहानुभूति इकट्ठा की और इसे वोटों में तब्दील किया। सैम पित्रोदा मणिशंकर अय्यर कांग्रेस के लिए भस्मासुर साबित हुए।
बेहतरीन योजनाएं: भाजपा ने कई कल्याणकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर उतारा और उन्हें जनता तक पहुंचाया और अपनी विकास वाली छवि को मजबूत किया। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, किसान सम्मान निधि योजना और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं ने गरीबों का प्रधानमंत्री मोदी में विश्वास बढ़ाया। वाराणसी में विकास ने उनकी विकास पुरुष वाली छवि को मज़बूत किया।
भ्रष्टाचार मुक्त देश : राहुल गांधी के राफेल में तमाम निराधार भ्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद नरेंद्र मोदी अपनी भ्रष्टाचार मुक्त छवि को लोगों में बनाए रखने में कामयाबी पाई। मोदी का 12 वर्ष तक गुजरात का सीएम रहते हुए भ्रष्टाचार मुक्त छवि ने भी मोदी की साफ-सुथरी छवि बनाई रखी।
जरुरी मुद्दों से पीछा छुड़ाना : विपक्ष ने असली जमीनी मुद्दों को छोड़कर फालतू के राफेल और GST जैसे मुद्दों को साल जैसे मुद्दों को उठाया। विपक्ष ने बेरोजगारी पर नरेंद्र मोदी सरकार को घेरने में कुछ तक सफलता प्राप्त की थी लेकिन फालतू के मुद्दों को उठाए जाने के कारण विपक्ष ने अपनी इस बढ़त को भी खो दिया। जिन मुद्दों पर बीजेपी कमज़ोर थी, विपक्ष ने खुद उन्हें छोड़कर फालतू के मुद्दे उठाए और भाजपा को जीत थाली में परोसकर दी।